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दिल बच्चा

पलकें न झुकाओ तुम, ये रात ठहर जाए।

आए तेरी महफिल में, ताउम्र गुजर जाए।

बरसे हैं उम्रे सावन, लट चांद बनके झांके।
दिल तो अभी है बच्चा, पहलू में मचल जाए।

छटती नहीं है बदरी, झुक-झुक के बरसती है।
उड़ने लगी है रंगत, तन्हाई से घबराए।

किसको खबर थी दिल ये, इतना भी ढीठ होगा।
क्यों छोड़कर फ़कीरी, पीरी में धोखे खाए।

समझे नहीं है बिल्कुल, मसरूर रहे मौज़ी। 
सर-ए-राह बेहयाई, दिल को न शर्म आए।

सपने भी सजाए तो, उड़ता रहे भंवर बन।
खुश्बू-ए-चमन बिखरे, दिल आशिकी लुटाए।

कमसिन ने किया घायल, दांतों दबाए आंचल।
छाई है कैसी मस्ती, सलवट भी मुस्कुराए।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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7 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Alka jain

27-Jun-2023 07:05 PM

Nice 👍🏼

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Varsha_Upadhyay

27-Jun-2023 02:22 PM

बहुत खूब

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